जन्म-जन्मान्तर पुस्तक, जगत के अनन्त प्रवाह में बहती एक ऐसी युवती की मार्मिक कथा है, जो संसार में बार-बार जन्म लेती है अपने अधूरे वचन को पूर्ण करने के लिये। वह हर जन्म में छली जाती है कभी समाज के रुढिवादी बन्धनों से, कभी परिस्थितिवश, कभी अपनों के द्वारा।
बौद्धकाल से लेकर 21 वीं सदी तक उसका सात बार जन्म होता है। क्या वह अपने वचन को पूरा कर पाती है या फिर काल के प्रवाह में विलीन हो जाती है ? परिस्थितिजन्य दो प्रेमी अनजाने में जन्म-जन्मान्तर तक साथ निभाने का वचन देते हैं। अपने वचन को पूर्ण करने के लिये उन्हें संसार में बार-बार जन्म लेकर असीम कष्टों का सामना करना पड़ता है। क्षेमा, भुवनमोहिनी, अपराजिता, मणिपद्मा, विविधा, दीपशिखा और वर्तमान में सोनालिका तक सभी कथायें अत्यन्त मार्मिक हैं और भारत के बदलते समय को दर्शाती हैं।
छुट्टियाँ बिताकर नर्मदा के तट पर मित्रों के साथ फोटो लेती हुई सोनालिका का पैर फ़िसल जाता है और वह नर्मदा की प्रबल धारा में बह जाती है। होश आने पर खुद को घने जंगल के बीच एक झोंपड़ी में पाती है। यहीं से उसके जीवन में एक ऐसी घटना घटती है, जिसके कारण उसके जीवन की धारा ही बदल जाती है।
Janm Janmanter
Title Janm Janmantar Author Shri Arun Kumar Sharma
Shri Manoj Kumar SharmaLanguage Hindi Publication Year: First Edition - 2017 Price Rs. 250.00 (free shipping within india) ISBN 9789384172039 Binding Type Paper Bound Pages vi + 250 Pages Size 21.5 cm x 14.5 cm