प्राण ऊर्जा का निस्तारण और ग्रहण श्वांस के माध्यम से ही होता है और चरम एकाग्रता द्वारा उस सूक्ष्म ऊर्जा के प्रवाह को महसूस किया जा सकता है। जब तक मन शान्त नहीं होगा चित्त शान्त नहीं होगा। वैसे तो शरीर, जीने के लिये श्वांस द्वारा प्राण ऊर्जा नैसर्गिक लेता रहता है लेकिन विशेष क्रिया द्वारा इसकी ग्रहण व प्रक्षेपण शक्ति असीम हो जाती है। श्वांस लेने कि क्रिया जितनी मन्द होगी छोड़ने की क्रिया उससे भी मन्द होनी चाहिये। श्वांस का लय ही इस क्रिया की मूल कुंजी है।
सर्वप्रथम बौद्ध लामा ने श्वांस-प्रश्वांस को लयबद्ध करने का अभ्यास कराया। इसके दौरान ही मैं असीम शान्ति का अनुभव करने लगा था। उन्होंने कहा - आगे इसी तरह अभ्यास करते रहना। कोई समय सीमा नहीं है इस अभ्यास में। जब श्वांस-प्रश्वांस लयबद्ध हो जायेगी इसका तुम स्वयं अनुभव करने लगोगे लामा बोले। मुझे तो प्रथम बार में ही सम्पूर्ण शरीर में ऊर्जा का विशेष अनुभव हो रहा था। बौद्ध गुम्फा (मन्दिर) के दाहिने ओर एक वट वृक्ष की ओर इशारा करते हुए लामा बोले उस वृक्ष को देख रहे हो। मैंने कहा हाँ। आओ वृक्ष के पास चलें। मैंने उनका अनुशरण किया। उस वट वृक्ष के चारों ओर तख्त लगे हुए थे। लामा ने इशारे से कहा कि उस तख्त पर चढ जाओ। मैंने वैसा ही किया। फिर लामा बोले - लम्बी श्वांस लो और धीरे-धीरे छोड़ो। अपने दोनों हाथों को फैलाकर वृक्ष को पकड़ो हथेली खुली रहे और मन को एकाग्र करो। वृक्ष और हथेली के बीच कुछ दूरी बनी रहे। क्योंकि अगर वृक्ष का स्पर्श करोगे तो उसके स्पर्श का अनुभव होगा उसकी ऊर्जा का नहीं। इसलिये एक इंच की दूरी आवश्यक है। उन्होंने आगे बतलाया कि अपनी लम्बी श्वांस खींच कर ध्यान लगाओ। उस श्वांस के माध्यम से ऊर्जा दाहिनी हथेली के द्वारा वृक्ष में समाहित हो रही है और बायीं हथेली के माध्यम से पूरे शरीर में शनै-शनै प्रवेश कर रही है। एक वर्तुल बनेगा। कम से कम पाँच बार इस क्रिया को दोहराओ। फिर उसी प्रकार बायीं हथेली से अपनी ऊर्जा प्रवाहित करो। फिर पाँच बार वर्तुल बनाओ, ध्यान रखना श्वांस पर पूरा नियन्त्रण रहे।
Kaal Paatra
Title Kaal Paatra Author Shri Arun Kumar Sharma Language Hindi Publication Year: First Edition - 2014 Price Rs. 300.00 (free shipping within india) ISBN 9789384172008 Binding Type Hard Bound Pages x + 72 + 326 Pages Size 22.5 cm x 14.5 cm