एकाएक बाबा कालूराम रुक गये और पलटकर गंगा की धारा की ओर देखकर बोले - कीनाराम देख कोई शव बहा जा रहा है। कीनाराम तत्काल बोले नहीं बाबा वह जिन्दा है। तो बुला उसे। कीनाराम वहीं से चिल्लाकर बोले - इधर आ, कहाँ बहता जा रहा है? तत्काल वह शव विपरीत दिशा में घूमा और घाट किनारे आ लगा। फ़िर धीरे-धीरे उठा और पूरी शक्ति बटोर कर मूकवत् खड़ा हो गया हाथ जोड़कर। कीनाराम बोले- खड़ा-खड़ा मेरा मुँह क्या देख रहा है, जा अपने घर तेरी माँ रो-रो कर पागल हो रही है। तत्काल वह दौड़ता हुआ घर की ओर भागा और अपनी माँ को जीवित होने की कथा सुना डाली। उसकी माँ को विश्वास नहीं हो रहा था वह उसी हाल में अपने बेटे को लेकर घाट कि ओर भागी। तब तक सभी लोग घाट की सीढी चढकर सड़क पर आ चुके थे। तभी कीनाराम की नज़र सामने पड़ी देखा कि वह बालक अपनी माँ के साथ भागता हुआ चला आ रहा है। कीनाराम कुछ समझते उससे पहले ही बालक की माँ आकर कीनाराम के पैरों पर गिर् पड़ी। कीनाराम ने उसे उठाया और आने का कारण पूछा। वह बोली- बाबा आपकी कृपा से मेरा पुत्र पुनः जीवित हो गयाअ इसके लिये मैं सदा आपकी ऋणी रहूँगी। लेकिन आपने इसे जीवन दान दिया है अब यह आपका है। मेरी दी हुइ जिन्दगी तो खत्म हो चुकी थी। बाबा इसे आप अपने चरणों में स्थान दीजिये। इसे मैं आपको सौंपती हूँ। कीनाराम ने बाबा कालूराम की ओर प्रश्न भरी नज़रों से देखा। बाबा कुछ बोले नहीं बस सिर हिलाकर अपनी सहमति दे दी। आगे चलकर बाबा ने उस बालक का नाम रामजियावन रखा जो आगे चलकर एक बड़े सिद्ध अघोरी बने।
Kaalanjayi
Title Kaalanjayi Author Shri Arun Kumar Sharma Language Hindi Publication Year: First Edition - 2015 Price Rs. 300.00 (free shipping within india) ISBN 9789384172022 Binding Type Paper Bound Pages vi + 250 Pages Size 21.5 cm x 14.5 cm